राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार : दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के सम्मान
दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के सम्मान के लिए चुना गया है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बाबत जानकारी दी है.
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार : दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के सम्मान के लिए चुना गया है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बाबत जानकारी दी है. 30 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाएगा. फिल्म इंडस्ट्री का ये सर्वोच्च सम्मान उन्हें इंडस्ट्री में योगदान के लिए दिया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि दादा साहेब फाल्के कमेटी के सदस्यों में मशहूर गायिका आशा भोंसले, अभिनेत्री हेमा मालिनी, अभिनेत्री पूनम ढिल्लो और गायक उदित नारायण झा शामिल हैं. इन सभी ने मिलकर कमेटी की बैठक की और आशा पारेख को चुना गया. उन्होंने 10 साल की उम्र में फिल्मों में काम करना शुरू किया था. उन्होंने सबसे पहले प्रख्यात फिल्म निर्देशक विमल रॉय की 'मां' से बॉलीवुड में कदम रखा था. उन्होंने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है.आशा पारेख की सुपरहिट फिल्मों में 'जब प्यार किसी से होता है', 'फिर वही दिल लाया हूं', 'तीसरी मंजिल', 'बहारों के सपने', 'प्यार का मौसम' ' 'कटी पतंग' और कारवां शामिल हैं.
2 अक्तूबर, 1942 को बेंगलुरु में गुजराती परिवार में जन्मीं आशा पारेख देवानंद, राजेश खन्ना, शशि कपूर, जितेंद्र, मनोज कुमार और धर्मेंद्र सहित कई दिग्गज कलाकारों के साथ बतौर हीरोइन फिल्मों में आईं. आशा पारेख की मां ने उन्हें काफी कम उम्र में ही शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा दिलाई. आशा ने देश-विदेश में कई नृत्य शो भी किए. वे बचपन में डॉक्टर या आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं लेकिन किस्मत उन्हें फिल्म जगत में ले आई. उन्होंने 1952 में फिल्म "आसमान" में बाल कलाकार के रूप में अपने फिल्म करियर की शुरुआत की थी. उसी दौर में फिल्म निर्माता बिमल राय ने उन्हें एक शो में नृत्य करते हुए देखा. वे आशा से प्रभावित हुए और उन्होंने 1954 में उन्हें फिल्म 'बाप बेटी' में एक भूमिका दी. उस समय आशा की उम्र 12 वर्ष थी.
मशहूर फिल्म निर्देशक नासिर हुसैन ने आशा पारेख को लेकर कई फिल्में बनाईं. इनमें 'जब प्यार किसी से होता है (1961)', 'फिर वही दिल लाया हूं (1963)', 'तीसरी मंजिल (1966)', 'बहारों के सपने (1967)', 'प्यार का मौसम (1969)' और 'कारवां' (1971) जैसी फिल्मों ने अपार सफलता हासिल की. उनकी हिट फिल्मों में 'दो बदन' (1966), 'चिराग' (1969), 'मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978)' और 'कटी पतंग' जैसी फिल्में भी शामिल हैं. फिल्म 'कटी पतंग' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला.
आशा पारेख को 1992 में पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. उन्हें 2001 में फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और 2006 में अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वे 1998 से 2001 तक सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष रहीं.