किराया नामा के आधार पर मालिकाना हक प्राप्त नहीं किया जा सकता-डॉ नायक
आवेदिका अपने शिकायत को संशोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव को भी पक्षकार बनाते हैं तो आयोग द्वारा आगामी सुनवाई की जाएगी
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती डॉ.किरणमयी नायक ने आज जिला कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में दुर्ग जिले से आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दोनो पक्षों को सुना गया, इनमें एक प्रकरण में आवेदिका ने अपनी पति की मृत्यु के उपरांत परिवारिक संपत्ति पर हिस्सा नहीं दिए जाने का मामला दर्ज कराया था। सुनवाई के दौरान यह पता चला कि आवेदिका के पति की मृत्यु हो गई है। ससुर के नाम पर 3 मकान हैं। जिसकी मृत्यु भी हो गई है। ससुर की मृत्यु के उपरांत नामांतरण में एक मकान में पति का नाम अंकित है। शेष 2 मकान में सास व उनकी 3 पुत्रियों का नाम दर्ज है। जिस मकान में पति का नाम दर्ज है उसमें अपना हिस्सा चाहती है। आयोग ने कहा कि चूंकि एक मकान में पति का नाम दर्ज है इसलिए उस मकान पर पत्नि का हिस्सा बनता है सुनवाई में कहा गया कि सास व 3 पुत्रियों के साथ ही पति का नाम दर्ज होने के चलते उक्त संपत्ति पर पति का बराबर हिस्सा बनता है। आयोग ने दोनों पक्षकारों को समझाइश दिया कि आपसी समझौता कर सकते हैं।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका बहु ने ससुराल वालों के विरूद्ध आंध्र प्रदेश राज्य के थाने में 498 ए का मामला पंजीबद्ध कराया है। सास ने आयोग में आवेदन किया है जिसकी सुनवाई आयोग द्वारा करते हुए दोनों पक्षों को समझाइश दिया है कि आपसी सामंजस्य स्थापित करते हुए मामले का निपटारा करें। उक्त प्रकरण में दोनों पक्षों द्वारा सहमति दिए जाने पर मामला नस्तीबद्ध किया गया।
इसी तरह अंजोरा कामधेनु विश्वविद्यालय से 2 प्रकरण आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए रखा गया था। इनमें एक प्रकरण में दोनों पक्षों को आयोग ने विस्तार से सुना। जिसमें अनावेदक ने आपत्ति दर्ज किया कि यह प्रकरण 3 वर्ष पुराना है। इस प्रकरण में आवेदिका की शिकायत पर लागातार विभागीय जांच और कार्यवाही लंबित है। आवेदिका द्वारा आयोग को एक सी.डी. प्रस्तुत किया गया है। उक्त सी.डी. का आडियो अनावेदक को सुनाया गया जिसमें उन्होंने अपना आवाज होना बताया। आवेदिका के द्वारा आडियो के समर्थन में किसी प्रकार का कोई गवाह व तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। दोनों पक्षकारों ने गवाह प्रस्तुत करने के लिए आगामी तिथि का मांग किया। जिस पर आयोग द्वारा अगली सुनवाई के लिए समय दिया गया है।
अंजोरा विश्वविद्यालय एक दूसरे प्रकरण में बताया गया कि यह मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। इस प्रकरण में अनावेदक व विश्वविद्यालय के द्वारा आवेदक पर प्रकरण वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है। आयोग द्वारा आवेदिका को समझाइश दिया गया कि अपने शिकायत को संशोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव को भी पक्षकार बनाते हैं तो आयोग द्वारा आगामी सुनवाई की जाएगी।
इसी तरह तीन अन्य मामले में न्यायालयीन प्रक्रिया से संबंधित होने के चलते आयोग द्वारा क्षेत्राधिकार से बाहर होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में किराएदार के द्वारा मकान खाली नहीं कराए जाने से संबंधित था। जिसमें आवेदिका के पति के नाम पर मकान चढ़ने के बाद किराएदार अनावेदिका द्वारा अपना कब्जा कर रखा गया है। साथ ही पिछले 2 साल का किराया भी नहीं दिया गया है। साथ ही साथ किराएदार द्वारा मकान खाली भी नहीं किया जा रहा है। आयोग द्वारा किराएदार को समझाइश दिया गया कि किराया नामा के आधार पर मालिकाना हक प्राप्त नहीं किया जा सकता। आयोग ने दोनों पक्षकारों का आपसी समझौता कर मामले का निपटारा करने कहा है। साथ ही आयोग ने यह भी कहा कि वसूली और बेदखली हेतु भाड़ा नियंत्रण अधिकारी के समक्ष अपना मामला दर्ज कराकर प्रकरण का निराकरण करा सकते हैं। अनावेदिका किराएदार के द्वारा मध्यस्थता निकालने की बात कहने पर अगली सुनवाई के लिए प्रकरण को रखा गया है।
आज की सुनवाई के लिए 27 प्रकरण आयोग के समक्ष रखे गए थे। जिसमें से पक्षकारों की उपस्थिति में 22 प्रकरणों की सुनवाई की गई। सुनवाई पूर्ण हो जाने पर 18 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। संवेदनशील 2 प्रकरण को रायपुर में सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है। जिसकी सुनवाई आयोग के कार्यालय रायपुर में 22 अक्टूबर को की जाएगी।
आयोग के समक्ष आज की सुनवाई में मानसिक उत्पीड़न, शारीरिक उत्पीड़न, दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, संपत्ति विवाद, कार्यस्थल पर प्रताड़ना व दैहिक शोषण से संबंधित प्रकरण थे।