कंडरा परिवार को मिलना है 1500 सौ बांस सरकार दे रही 50, परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट। बांस के मुद्दे पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर को बृजमोहन ने घेरा। बांस से बनी सामग्री बना कर जीवन यापन करता है रायपुर का 3000 कंडरा परिवार।
रायपुर/13/03/2023/छत्तीसगढ़ विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने बांस के समान जैसे सुपा, टोकनी, पर्रा आदि बनाने वाले रायपुर के 3000 बांसोड़ (कंडरा) परिवारों के जीवन यापन से जुड़ा मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन की लापरवाही के चलते बांस के सामानों के पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े रायपुर जिले के 3000 से अधिक कंडरा परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। वन विभाग द्वारा खाता धारी कंडरा परिवार के लोगों को बांस उपलब्ध नहीं करा रही है इसलिए वे अपना पारंपरिक व्यवसाय छोड़ने मजबूर हैं। बार-बार गुहार लगाने के बाद भी शासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही।
कंडरा समाज के लोगों को विभाग द्वारा बही दी गई है जिसमें समाज के लोगों को 1 साल में 1500 बांस देने का प्रावधान है। परंतु पिछले 4 सालों से इन्हें इनके हक का बांस भी नही मिल रहा। बीते साल तो कई परिवारों को 50 बांस तक नहीं दिए गए।
उन्होंने कहा कि रायपुर में कंडरा समाज के 3000 परिवार निवासरत है लेकिन 750 को ही बही दी गई है। शेष परिवार लगातार बही प्रदान करने की मांग कर रहा है। परंतु सरकार उनकी मांग को नजरअंदाज कर रही है। इसी प्रकार कई परिवारों में मुखियाओं के निधन के बाद बही परिवार के सदस्य के नाम स्थानांतरित होना चाहिए परंतु यह कार्य भी नहीं हो रहा है।
कंडरा समाज के लोगों को आज ठेकेदारों से बांस खरीदना पड़ रहा है जिसकी कीमत कई गुना अधिक होती है। विभाग की लापरवाही के चलते यह समाज अपने पुश्तैनी धंधे को आगे बढ़ाने में नाकाम है और इनके परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है।
इस ध्यानाकर्षण के जवाब में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा की डीपो में उपलब्धता के आधार पर ही बास प्रदान किया जा रहा है। बहस के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि जितना मिलना चाहिए उतना बांस नहीं दिया जा रहा है। नया बही प्रदान किए जाने के संबंध में उन्होंने कहा की कुल 24 आवेदन विभाग को प्राप्त हुए हैं जिस पर कार्यवाही की जा रही है।
इस ध्यानाकर्षण सूचना की चर्चा में विधायक शिवरतन शर्मा और पुन्नूलाल मोहले ने भी हिस्सा लिया।