दोना-पत्तल निर्माण कर लक्ष्मी समूह की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर
छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम में दोना-पत्तल की बहुत मांग रहती है। इसे देखते हुए नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत छोटेडोंगर की 10 महिलाओं ने स्व सहायता समूह बनाकर दोना-पत्तल बनाने का कार्य करना प्रारंभ किया
छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रम में दोना-पत्तल की बहुत मांग रहती है। इसे देखते हुए नारायणपुर जिले के ग्राम पंचायत छोटेडोंगर की 10 महिलाओं ने स्व सहायता समूह बनाकर दोना-पत्तल बनाने का कार्य करना प्रारंभ किया। नारायणपुर जिला वनों से आच्छादित होने के कारण पत्तों की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर आसानी से हो जाती है। समूह की महिलाओं के द्वारा इसे जंगलों से इकट्ठा किया जाता है। समूह के द्वारा एक माह में एक से डेढ़ हजार बंडल दोना-पत्तल तैयार किया जा रहा है, जिससे प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 6 हजार रुपए तक की आमदनी हो रही है।
समूह की अध्यक्ष असून बाई ने बताती हैं कि दोना-पत्तल की बिक्री उचित कीमत में नहीं होने के कारण पहले बहुत कम लाभ मिलता था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बनाए जाने से अब उचित दर पर दोना-पत्तल की बिक्री हो रही है। रीपा में निर्मित दोना-पत्तल को अब स्थानीय बाजार एवं अन्य जिलों में भी बिक्री किया जा रहा है।
समूह की महिलाओं कहना है कि उनके द्वारा अपने-अपने घरों में कृषि कार्य के साथ-साथ दोना-पत्तल निर्माण कार्य कर रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को रीपा प्रारंभ करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें रीपा पार्क मिल जाने से अब दोना -पत्तल निर्माण कार्य और उसकी बिक्री में अबहुत असानी हो रही है। इससे सभी सदस्य बेहद खुश हैं और उन्हें अतिरिक्त आय का जरिया मिल गया है।