जातिगत जनगणना पर गरमाई सियासत, 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का होगा मुख्य मुद्दा?
राहुल गांधी के जातिगत जनगणना की मांग उठाने के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है, जिसके बाद नीतीश कुमार ने भी इसका समर्थन किया है. ऐसे में यह मुद्दा आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष का मुख्य मुद्दा बन सकता है.
क्या राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना विपक्षी दलों के लिए एक अहम चुनावी मुद्दा होगा? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना की मांग उठाकर इस संवेदनशील मसले पर बड़ी राजनीतिक बहस छेड़ दी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी लिखकर कहा है कि जातिगत जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों के लिए डाटा अधूरा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोमवार को इस मांग का स्वागत किया. बिहार में जातिगत जनगणना का दूसरा चरण रविवार को शुरू हो गया. ये अगले 6 से 8 महीने में पूरा कर लिया जाएगा, यानि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले जातिगत जनगणना हो जाएगी.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा, "आप ओबीसी की बात करते हैं. उस डाटा को सार्वजनिक करें. देश को बताएं कि देश में कितने ओबीसी, दलित और आदिवासी हैं. यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह ओबीसी का अपमान है. साथ ही आरक्षण पर से 50 प्रतिशत की सीमा को हटा दें.
खरगे की पीएम मोदी को चिट्ठी
कर्नाटक के कोलार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ये मांग उठाई. इसके कुछ ही देर बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को चिठ्ठी लिखकर जातिगत जनगणना की मांग औपचारिक तौर पर भारत सरकार के सामने रख दी. खरगे ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी को ट्वीट करते हुए कहा, "2021 में नियमित दस वर्षीय जनगणना की जानी थी, लेकिन यह नहीं हो पाई है. हम मांग करते हैं कि इसे तत्काल किया जाए और व्यापक जाति जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाए. मुझे आशंका है कि जातिगत जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों के लिए डेटा अधूरा है."
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेतृत्व की मांग का समर्थन करने में देरी नहीं की. नीतीश कुमार ने कहा, "10 साल में देश में जनगणना होती थी, लेकिन इस बार नहीं हुई. 13 साल हो गए हैं. अगली बार जब केंद्र सरकार जनगणना करे तो जातिगत जनगणना भी करवा दे, अच्छा रहेगा."
बिहार में बदलेगी आरक्षण व्यवस्था
दरअसल, बिहार में जातिगत जनगणना का दूसरा चरण पिछले रविवार को शुरू हो गया. आरजेडी सांसद मनोज झा ने NDTV से कहा कि बिहार में जातिगत जनगणना के जो नतीजे आएंगे उसके अनुरूप अलग-अलग जातियों की हिस्सेदारी तय की जाएगी. ईडब्ल्यूएस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब आरक्षण पर 50% की सीलिंग मायने नहीं रखती है.
क्या बिहार में जातिगत जनगणना के जो आंकड़े आएंगे उसके आधार पर आरक्षण की व्यवस्था को पुनर्गठित किया जाएगा? आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, "जी हां, बिहार में आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था बदलेगी. आरक्षण की जो व्यवस्था अभी बहाल है, उसका पुनर्गठन बिहार में होगा."
बीजेपी की सधी प्रतिक्रिया
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, विपक्ष की कोशिश बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति को साधने की है. उधर, बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना की मांग पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है.
बीजेपी के नेता और एससी/एसटी कमीशन के पूर्व चेयरमैन डॉ. विजय सोनकर शास्त्री ने एनडीटीवी से कहा, "अगर भारत सरकार के गजट के हिसाब से देखा जाए तो देश में करीब 6,500 जातियां हैं और 50,000 से ज्यादा उपजातियां हैं. हम किस आधार पर किस जाति और उपजाति के लिए स्पेशल पैकेज तैयार करेंगे? विपक्षी दल स्पष्ट करें. जब चुनाव आया है तो यह मांग उठ रही है. यह सारे मुद्दे जनता को बेवकूफ बनाने के लिए चुनाव से पहले उठाए जाते हैं. यह संभव ही नहीं है. हम 6,500 जातियों को किस आधार पर एडजेस्ट करेंगे. मलिकार्जुन खरगे मुझे बताएं. राहुल गांधी ही बता दें."
2024 में जातिगत जनगणना बनेगा चुनावी मुद्दा?
राहुल गांधी, मलिकार्जुन खरगे और नीतीश कुमार के बयान से लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्षी दलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना अहम चुनावी मुद्दा हो सकता है. यह महत्वपूर्ण है कि अब तक कम से कम 17 विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराने की मांग का समर्थन कर चुके हैं. जाहिर है कि 2024 के चुनावों से पहले जातिगत जनगणना के मुद्दे पर विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर लामबंद भी हो सकते हैं.